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देश में एक बेहतर समाज का निर्माण जहां नारी का सम्मान हो
भोपाल (ईएमएस)। देश में बढ़ते दुष्कर्म की घटनाओं ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। जो एक अत्यंत घृणित, शर्मनाक और चिंतनीय स्थिति है हमें अपने गिरेबान में झांकना होगा हम अपने आप को इतना साफ़ सुथरा सिद्ध नहीं कर सकते। सभी कहीं न कहीं दोषी हैं। ऐसा ही कुछ सर्वसम्मति से मत व्यक्त किया। आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन के ज्वलंत मुद्दे और विचारोत्तेजक परिचर्चा में प्रमुख वक्ताओं और विशिष्ट अतिथियों ने। इस कार्यक्रम की खास बात यह भी है कि मंच पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हुई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य कर रही नारी शक्तियां आसीन थी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बरखेड़ी की लोकप्रिय और कर्मठ सरपंच भक्ति शर्मा ने गंभीर परिचर्चा करते हुए अपने वक्तव्य में कहा “हमें अपने घर परिवार से ही मानसिकता सुधारनी होगी।
आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में परिचर्चा संपन्न
बचपन से ही लड़के को सिखाना होगा कि किस तरह एक महिला की इज्जत और मर्यादा रखनी है। जब पिता को ही अपनी मां के प्रति खराब दुर्व्यवहार करते हुए लड़का देखता है तो वही संस्कार उसमें आ जाते हैं और वह महिला का सम्मान और मर्यादा की सीमा रेखा पार करता है बाहर जाकर”। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डीएसपी पल्लवी त्रिवेदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पुलिस का जो चेहरा है समाज में उस में और सुधार होने की जरूरत है पुलिस को और भी अधिक तत्परता से, सतर्कता और ईमानदारी पूर्ण अपना कार्य करना होगा और परिवार में यह सभी पुरुषों को समझना जरूरी है कि स्त्री और पुरुष समान है और स्त्री सिर्फ वंश बढ़ाने के लिए या पुरुषों की सुविधा और उपभोग के लिए नहीं है। दुष्कर्म एक ऐसी बीमारी है जिसका रूट कॉज देखना होगा इसमें हायर क्लास से लेकर लोअर क्लास तक के लोग शामिल हैं और रिश्तेदार विश्वास पात्र होने का और ऑफिसर ऊंचे ओहदे का फायदा उठाकर, बहाने और दबाव बनाकर महिलाओं का शोषण दैहिक शोषण करते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही अनुपमा अनुश्री ने अपने विचारोत्तेजक वक्तव्य में कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक बड़ा आंकड़ा बता रहा है। उसके हिसाब से लगभग अड़तीस हजार दुष्कर्म दो हज़ार सत्रह में हुए, अगर दुष्कर्म इतने हुए तो इनमें दुष्कर्मी कितने शामिल रहे, इस संख्या को लगभग चार गुना करके देखें तो कितनी बनती है! सभी नारी शक्तियों ने अंत में संकल्प लिया कि समाज के हर व्यक्ति को संरक्षक का, अभिभावक का रोल अदा करना पड़ेगा। हर बच्चे और महिला के लिए और एक स्वस्थ, बेहतर समाज जहां नारी सुरक्षा उसका सम्मान, उसका विकास सर्वोपरि प्राथमिकता होगी। ऐसा एक समाज बनाने की बहुत जरूरत है।